कन्हैया जन्म लेंगे कल यहाँ (एक गम्भीर,मीठा,व्यंग्य-प्रहार}
>> Thursday, 9 August 2012 –
गज़ल
लोग कहते हैं कन्हैया जन्म लेंगे कल यहाँ |
व्रती, खा कर माल, दिन भर व्रत रखेंगे कलयहाँ ||
भार धरती के उठैया, सब के दाता अन्न के -
एक खीरे से निकल कर, कुछ चखेंगे कल यहाँ ||
'रमापति 'स्वामी हैं जग की 'लक्ष्मी 'के, देखिये !
कलेण्डर में छपे,कौड़ी में बिकेंगे , कल यहाँ ||
जिनके दिल में रंच श्रद्धा ,आस्था, निष्ठा नहीं -
उनके घर जन्माष्टमी -मेले लगेंगे कल यहाँ ||
नकली मावे, नकली घी के बने जो पकवान हों-
वे प्रसादों की तरह जम कर बंटेंगे कल यहाँ
वे प्रसादों की तरह जम कर बंटेंगे कल यहाँ
चुराकर बागों से तोड़े गये होंगे जो "प्रसून"-
शान से भगवान के चरणों चढेंगे कल यहाँ ||