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शंख-नाद(एक ओज गुणीय काव्य(य) प्रयाण गीत (२) !!तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!

 


!!तुमको तुम्हारे देश की


  आन की क़सम !!


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तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !


आन की क़सम !तथा सम्मान की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !! 


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इस पे जो जल के मर मिटे हों शलभ की तरह-

उन त्याग-वीरों की अमर शान की क़सम !

शान की क़सम ! उन्हीं के मान की क़सम !!

तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!१!!


 



‘इंसानियत’से बड़ा कोइ धर्म नहीं है |

गीता,’पवित्र ग्रन्थ’औ क़ुरान की क़सम !

क़ुरान की क़सम !वेद-ज्ञान की क़सम !!

तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!२!!



 


जिसने कभी दुश्मन का भी दुखाया दिल नहीं |


सभ्यता की उस विमल पहँचान की क़सम !


पहँचान की क़सम !इसके प्राण की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!३!!




‘घृणा,वैर,क्रूरता’के खेल रोको तुम !


तुम में छुपे रहमदिल‘इंसान’की क़सम !


‘इंसान’की क़सम !हाँ’रहमान’की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!४!!




है ‘पत्थरों का फर्क’,‘नर्क' से भरा कहर’ |


दादू, कबीर,गांधी के ज्ञान की क़सम !


ज्ञान की क़सम ! औ विज्ञान की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!५!!



    


हम्मीर से,राणा,शिवा,अकबर से बनो तुम !


सो गए इतिहास के अरमान की क़सम !


अरमान की क़सम !नये विधान की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!६!!





दीपक जला कुछ नये,’अन्धेरे’ मिटाओ !


उज्जवल भविष्य के सुखद ‘विहान’की क़सम !


‘विहान’की क़सम ! 'प्रगति के भानु' की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!७!!





रूढियों  की  बेड़ियों  को  काट  फेंक दो !


इक्कीसवीं सदी के इस  'उत्थान' की क़सम !


'उत्थान' की क़सम ! औ 'युवा-प्राण' की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!८!!






औरों के दोष कम, अपने अधिक देखिये !


“प्रसून”तुम्हें अपने गिरेहबान की क़सम !


गिरेहबान की क़सम!दिलो जान की क़सम !!


तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!९!!



 



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