शंख-नाद(एक ओज गुणीय काव्य(य) प्रयाण गीत (२) !!तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!
>> Wednesday, 29 August 2012 –
गीत (प्रयाण गीत)
!!तुमको तुम्हारे देश की
आन की क़सम !!
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तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !
आन की क़सम !तथा सम्मान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!
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इस पे जो जल के मर मिटे हों शलभ की तरह-
उन त्याग-वीरों की अमर शान की क़सम !
शान की क़सम ! उन्हीं के मान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!१!!
‘इंसानियत’से बड़ा कोइ धर्म नहीं है |
गीता,’पवित्र ग्रन्थ’औ क़ुरान की क़सम !
क़ुरान की क़सम !वेद-ज्ञान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!२!!
जिसने कभी दुश्मन का भी दुखाया दिल नहीं |
सभ्यता की उस विमल पहँचान की क़सम !
पहँचान की क़सम !इसके प्राण की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!३!!
‘घृणा,वैर,क्रूरता’के खेल रोको तुम !
तुम में छुपे रहमदिल‘इंसान’की क़सम !
‘इंसान’की क़सम !हाँ’रहमान’की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!४!!
है ‘पत्थरों का फर्क’,‘नर्क' से भरा कहर’ |
दादू, कबीर,गांधी के ज्ञान की क़सम !
ज्ञान की क़सम ! औ विज्ञान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!५!!
हम्मीर से,राणा,शिवा,अकबर से बनो तुम !
सो गए इतिहास के अरमान की क़सम !
अरमान की क़सम !नये विधान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!६!!
दीपक जला कुछ नये,’अन्धेरे’ मिटाओ !
उज्जवल भविष्य के सुखद ‘विहान’की क़सम !
‘विहान’की क़सम ! 'प्रगति के भानु' की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!७!!
रूढियों की बेड़ियों को काट फेंक दो !
इक्कीसवीं सदी के इस 'उत्थान' की क़सम !
'उत्थान' की क़सम ! औ 'युवा-प्राण' की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!८!!
औरों के दोष कम, अपने अधिक देखिये !
“प्रसून”तुम्हें अपने गिरेहबान की क़सम !
गिरेहबान की क़सम!दिलो जान की क़सम !!
तुमको तुम्हारे देश की आन की क़सम !!९!!