ईद में मेरे बिरादर तुम ! (प्यार का एक सन्देश)
>> Sunday, 19 August 2012 –
गज़ल
ईद में मेरे बिरादर तुम !
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गले मिलो तो दिल भी मिलना,ईद में मेरे बिरादर तुम !
सीने में बन ‘प्यार’ मचलना, ईद में मेरे बिरादर तुम !!
मन में नफ़रत और दिखावा, नकली प्यार का नाटक कर-
किसी बशर को तुम मत छलना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!
कहो सभी से,”चलो नमाज़ को,मिलजुल कर के सब यारो”-
ईदगाह में साथ ही चलना , ईद में मेरे बिरादर तुम !!
‘राजनीति’,’छल’,’कपट’ भूल कर,याद इलाही को करना-
नीयत बाँध, नमाज़ को पढना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!
‘नफ्स’ की मैल न चढने देना,अपने दिल की पर्तों में
हो कर सफ़ा दुआयें करना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!
अखलाकों में चुभते काँटे, मत रखना, जो दिल में चुभें-
“प्रसून”बन कर‘चमन’में खिलना,ईद में मेरे बिरादर तुम ||