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ईद में मेरे बिरादर तुम ! (प्यार का एक सन्देश)


    


ईद में मेरे बिरादर तुम !


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गले मिलो तो दिल भी मिलना,ईद में मेरे बिरादर तुम !


सीने में बन ‘प्यार’ मचलना, ईद में  मेरे बिरादर तुम !!





मन में नफ़रत और दिखावा, नकली प्यार का नाटक कर-


किसी बशर को तुम मत छलना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!




कहो सभी से,”चलो नमाज़ को,मिलजुल कर के सब यारो”-


ईदगाह में साथ ही चलना , ईद में मेरे बिरादर तुम !!



 ‘राजनीति’,’छल’,’कपट’ भूल कर,याद इलाही को करना-


नीयत बाँध, नमाज़ को पढना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!




‘नफ्स’ की मैल न चढने देना,अपने दिल की पर्तों में


हो कर सफ़ा दुआयें करना,ईद में मेरे बिरादर तुम !!



 


अखलाकों में चुभते काँटे, मत रखना, जो दिल में चुभें-


“प्रसून”बन कर‘चमन’में खिलना,ईद में मेरे बिरादर तुम ||


  

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