रक्षा बन्धन (राखी का गीत)
>> Friday, 3 August 2012 –
गीत
पर्व है रक्षा बन्धन का
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बाँट के भीगी खुशियाँ बीता,आज महीना सावन का|
हर्ष भरी सौगातें लाया,पर्व है रक्षा बन्धन का ||
भाई के घर बहना आयी, ले कर थाल मिठाई का |
देखो कितना हुआ है चौड़ा सीना आज तो भाई का ||
इन दोनों के पावन रिश्ते में ‘स्वार्थ’ का काम नहीं |
‘ममता’,’वात्सल्य’ से सिंचित यह रिश्ता मन से मन का ||
हर्ष भरी सौगातें लाया पर्व है रक्षा बन्धन का ||१||
बोली बहन,”सुनो रे भैया,खुशियाँ तुमको मिलें सदा |
जीवन की बगिया में हँसते फूल सुहाने खिलें सदा ||
सबके चहरे हास भरे हों,सुख इस घर में भरे रहें –
हर्ष भरी सौगातें लाया,पर्व है रक्षा बन्धन का ||२||
घिरें न दुःख की परछाईं से, कोंई कोना आँगन का ||
“बंधवाई है तुमने राखी, उसकी रखनी लाज तुम्हें |
निष्ठा भरे प्रेम की क़समें खानी होंगीं आज तुम्हें ||
अच्छे रस्ते अपनाने हैं, पंथ बुराई का तज कर –
हर पल करना तुम्हें सार्थक,भैया अपने जीवन का ||”
हर्ष भरी सौगातें लाया,पर्व है रक्षा बन्धन का ||३||
“ ‘राखी’में ‘आशीश पिरो कर भाई बाँधनेआई मैं |
जीवन में मिठास भरने को,लायी साथ मिठाई मैं ||
कटुताओं के चुभते काँटे,दूर रहे, बस दूर रहें –
महक उठे सुमनों से आलम,घर रूपी इस मधुवन का ||”
हर्ष भरी सौगातें लाया,पर्व है रक्षा बन्धन का ||४||
:
ये ये धागे हैं नहीं सूत के,ये तो प्यार के धागे हैं |
भाई,जिनके बहन नहीं है,वे तो बड़े अभागे हैं ||
“प्रसून”अपना पन’ ले कर के,आता यह त्यौहार सदा –
वर्ष में यह,ज्यों महके झोंका,’वीराने’में चन्दन का ||
हर्ष भरी सौगातें लाया,पर्व है रक्षा बन्धन का ||५||
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