अपनी आज़ादी(त्याग-वीरों की याद)
>> Saturday, 18 August 2012 –
गीत(मान गीत)
अपनी
मेरे भय्या बचा के रखना,
यह अपनी आज़ादी !
इसके लिये महापुरुषों ने,
अपनी जान लड़ा दी ||
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'राम कृष्ण' जब 'परमहंस' बन उठे, 'चेतना' जागी |
राजा राम मोहन ने जब,सारी खुशियाँ त्यागीं ||
उतरे भारत में ‘ईश्वर’,बन कर त्यागी, वैरागी ||
हो कर भावुक हुये एकजुट,भारत के अनुरागी ||
विद्दया-सागर-हृदय में लहरें उठीं बनीं अप्रमादी |
राष्ट्र-खेत में हुई अंकुरित, तब तो यह आज़ादी !!
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!१!!
जग कर ‘दया’,’विवेक’बन गये,धीर-वीर सेनानी |
भारतेन्दु,टैगोर जगे, जागे सब हिन्दुस्तानी ||
जागे ‘कर्म-वीर’ बन कर जब,कर्म-वित्त के दानी |
‘बडवानल’जल उठा ‘ज्वाल’बन,जब नयनों का पानी ||
तब घबराये , थर्राये, ’गोरे बन्दर’ अवसादी |
लगी उतरने जब कुबुद्धि पर चढ़ी हुई कुछ ‘बादी’ ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!२!!
मंगल पाण्डेय ने ‘जागो’ कह,’भारत धर्म’ बचाया |
लक्ष्मीबाई,नाना ने तब,रन का व्यूह रचाया ||
जागी ग़ालिब,जफ़र बदलने,युग की रोगी काया |
वीरों ने उठ उठ कर अपना,क्रान्ति-शंख बजाया ||
मिल कर सबने आशा की उज्जवल नव ज्योति जला दी |
या कि निराशा की मुरझाई बगया पुनः खिला दी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!३!!
वीर गोखले,गान्धी,नेहरू,कमर कसे उठ धाये |
‘लाल’,’बाल’औ‘पाल’सदृश’युग पुरुष जगे उठ आये ||
वीर सुभाष फ़ौ ज एकत्रित करके जब जुट आये |
‘शेखर’,‘भगत सिंह, ‘बिस्मिल’,’अशफ़ाक’ने प्राण लुटाये ||
सबने अपने अपने जीवन की ‘मस्तियाँ’ लुटा दीं |
‘स्वतंत्रता’की बलि-वेदी पर,’सुख’की भेंट चढ़ा दी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!४!!
लाल बहादुर,अब्दुल कलाम,औ ‘आज़ाद’ दीवाने |
शान्ति,क्रान्ति दोनों के जूझे ‘दीपक’ पर ‘परवाने’ ||
अंग्रेज़ों के पाप के ताने बाने चले मिटाने |
‘नर्क’ हुआ था भारत,इसको फिर से ‘स्वर्ग’बनाने ||
‘अंग्रेजो,भारत छोड़ो’की की पुरज़ोर मुनादी ||
‘स्वदेश’का बल, त्याग के निकला वैभव,सोना चाँदी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!५!!
‘जालियाँ वाला बाग’रक्त से रँगा था रँगा ‘काकोरी‘|
मेरठ दिल्ली रँगे, रँग गया, देखो चौराचौरी ||
गली गली जग गयी‘प्रेरणा’ घर घर ,पौरी पौरी |
शिथिल पड़ चली इन यत्नों से,गोरों की बरज़ोरी ||
प्रणवीरों ने, रणवीरों ने रक्त की नदी बहा दी |
पुनः त्याग की परिपाटी थी,इस राष्ट्र में चला दी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!६!!
जाग गया हर हृदय बन गया,स्वतंत्रता सेनानी |
‘लौह पुरुष’ बन ‘पटेल’ जागे, परम वीर लासानी ||
बच्चे बच्चे ने दिखलाई थी पुरजोर जवानी |
देख देख ‘जागरण’ मर गयी, अँग्रेज़ों की नानी ||
इस ‘जागरण-ज्योति’ ने काली पाप की धुन्ध हटा दी |
‘संगठना’ ने ‘भेद-भाव’ की हर दीवाए गिरा दी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!७!!
खुदीराम,ऊधम सिंह जागे, मदन धींगरा जागे |
होड़ मच गयी, ‘त्याग यज्ञ’ में कौन बढ़ेगा आगे ||
फूँक फूँक बारूद, गोलियाँ औ हथगोले दागे |
फूँक फूँक बारूद, गोलियाँ औ हथगोले दागे |
सोच रहे अँगरेज़, बचाने ‘स्वत्व’ किधर को भागे ||
मर मिटने को परवाने थे, निकले पहने खादी |
विदेशियों की आन,मान की शान की चमक मिटा दी ||
मेरे भय्या बचा के रखना,यह अपनी आज़ादी !!८!!
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ईद मुबारक !
आप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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