Powered by Blogger.

Followers

"गुण आ गये हैं नीम के देखो तो बेल में" (देवदत्त "प्रसून")

कितनी हैं ख़ामियाँ यहाँ आपस के मेल में।
मशगूल रिश्ते-नाते हैं छल-बल के खेल में।।
 
चैनो अमन का सारा खेत इसने चर लिया,
कोर-औ-कसर है राजनीति की नकेल में।

बाप ने बेटे को कभी कैद कर लिया-
बेटे ने बाप को कभी डाला है जेल में।

दौरे सियासत में यहाँ शैतानियत मिली,
दौलत-औ-गद्दी रह गई है इसके फैल में।
 
कड़वी हैं बेलपत्तियाँ शिव को चढ़ाएँ क्या,
गुण आ गये हैं नीम के देखो तो बेल में।
 
देखो उजाले ठग रहे, अन्धेरे बाँटते,
कितनी मिलावट देखिए दीपक के तेल में।

इसने वफा के दामनों को मैला कर दिया,
फितरत है ऐसी देखिए नफरत के मैल में।  
"प्रसून" तेरे बाग में कोहराम मच गया,
आई हैं कितनी आँधियाँ अपने तुफैल में।
 



Read more...

सुनो पथिक

प्रीति-डगर के पथिक हो|
शूल-पंथ के पथिक हो||
सुनो तनिक तो तुम अहो!
सुनो तनिक तो तुम अहो!!
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
यों तो दृढ़ता प्रेय है|
अडिग तुम्हारा ध्येय है||
माना चढ़ना श्रेय है||
आगे बढ़ना श्रेय है||
किन्तु नियति के ताप से-
दैव-जन्य संताप से-
यदि तुमको गलना पड़े|
उतर उतर चलना पड़े ||
जैसे गलता हिम, गलो|
उतर उतर कर तुम चलो||
बन कर निर्झर तुम ढलो||
पर हित अवनति में रहो|
बन कर गिरि, सरिता बहो||
सुनो तनिक तो तुम अहो!!१!!
सचमुच भला न दाह है|
दुःख-मय हृदय-प्रदाह है||
सुखद सुमन की राह है||
रस-मय प्रेम-प्रवाह है||
पर यदि जग के पाप से|
लड़ कर अपने आप से||
हो बेबस जलना पड़े-
संयम को छलना पड़े -
स्नेह-दीप से तुम जलो|
देकर अपना दम जलो||
हर कर सारा तम जलो||
त्याग दीप्ति में रत दहो|
प्रतिहिंसा में मत दहो||
सुनो तनिक तो तुम अहो!!२!!

Read more...

टा-टा


सड़ी गली कल्पनाओं, तुम्हें टा-टा|
स्वार्थी हीँन भावनाओं, तुम्हें टा-टा||
सीमा हीन कामनाओं,तुम्हें टा-टा||
मेरे मन से निकल जाओ, तुम्हें टा-टा||
========================
खुदगर्ज बन गये हैं लोग, तुम्हारे कारण |
'परमार्थ' बन गये हैं 'भोग', तुम्हारे कारण||
मुझे न बहकाओ,तुम्हें टा-टा|
सामने से हट जाओ, तुम्हें टा-टा||
मान जाओ -मान जाओ, तुम्हें टा-टा||
सड़ी गली कल्पनाओ, तुम्हें टा-टा||१||

तुम्हीं ने बाँटा है जूनून दूनियाँ में|
तुम्हीं ने बिखेरा खून दूनियाँ में ||
जन- जन को न सताओ,तुम्हें टा-टा||
तरस खाओ-तरस खाओ, तुम्हें टा-टा||
गहरी नींद में सो जाओ, तुम्हें टा-टा||
सड़ी गली कल्पनाओं तुम्हें टा-टा||२||

Read more...

तेरे नाम करूँ


दौलत की क्यों चाह तुझे है,यह दिल तेरे नाम करूं ?
मुझे पिला दे प्यार की मदिरा, महफ़िल तेरे नाम करूं ||

तू कश्ती बन जा प्रिय आए जीवन के तूफानों में-
मेरी मोहब्बत के हरियाले साहिल तेरे नाम करूं ||

अरमानों के कोहेतूर में आग लगा के भस्म करूं-
लगा ले अपनी इन आँखों में, काजल तेरे नाम करूँ||

मधुर कल्पना के मृग-छौने आशाओं के फूल खिले-
महक लुटाते, रूप लुटाते जंगल तेरे नाम करूँ ||

तेरे दर्द अमंगल जैसे,मैं हर लूँगा दो पल में-
तुझ पे वारूं कई जन्म के मंगल तेरे नाम करूँ ||

"प्रसून"का हर वजूद तुझसे,तुझ पर ही न्योछावर है-
तपती जेठ पे छाया करते बादल तेरे नाम करूँ||





































































Read more...

ज्वलंत- प्रश्न


छल-कपट के कब करोगे, कम कसे दबाव कुछ |
पूरे ताकि, होसकें इंसानियत के ख़्वाब कुछ ||

मांग जाँच वोट, नोट चोर शाह बन गये|
बदल ली हैं नज़र और बद निगाह बन गये
प्रजातन्त्र को छला है फांस कर फरेब में-
फाख्तों में राज करें छल से ज्यों उकाब कुछ||१||

अरे हठीले दानवों यहाँ कहाँ से आ गये?
हमारे आसमान में चील बन के छा गये||
शान्ति भंग हो गयी कबूतरों के देश में -
दहशतों के साये तले खल रहे घिराव कुछ ||२||

तुम्हें प्यारा रजत-स्वर्ण, हमें प्यारा नेह है|
हमारा लक्ष्य रूह है, तुम्हारा लक्ष्य देह है||
लूटते हो क्यों हमें, पूजारियों के वेश में -
धर्म-धुरी तोड़ डी है करके क्यों अजाब कुछ??३??

हमारी हरी भरी क्यारियों में प्रीति खिल रही |
सुमन "प्रसून"हँस उठे हैं, प्यारी गन्ध मिल रही||
आग जैसी जलन भरी,उपवनों के स्नेह में-
जला दिया नफ़रतों का डाल कर तेज़ाब कुछ||४||









Read more...

आशाओं को नयी गति

कुण्ठा की हिम शिला पिघलने वाली है|
जमी हुई हर ताकत गलने वाली है||

देखो तो रोशनी यहाँ होगी जगमग-
बुझी मोमबत्ती फिर जलने वाली है||

'मानवता' को हमने कई खुराकें दीं -
इसे जिंदगी फिर से मिलने वाली है ||

सहस का संचार हृदय में हुआ अभी -
गिरती हालत पुन्: सँभलनेवाली है||

आशाओं का डीज़ल इसमें डाला है-
विश्वासों की३ गाड़ी चलने वाली है||

वासुकि निश्चय का, प्रयास का मंदराचल-
मन्थन की हर लहर उछलने वाली है||

महकी गन्ध बटोरो अपने प्राणों में-
"प्रसून" की यह बगिया खिलने वाली है||

Read more...

About This Blog

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP