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ओ कन्हैया !


ओ कन्हैया !, अब पधारो, मेरे भारतवर्ष में !

भ्रष्ट 'कालिय नाग' मारो, मेरे भारतवर्ष में || 


लालचों के आततायी कंस के कुछ वंश हैं -

दशा इनकी,तुम बिगारो, मेरे भारतवर्ष में ||


छल ,कपट के,कुबल के हैं 'कुबलिया' कितने बढे !

इन्हें तुम आकर सुधारो, मेरे भारतवर्ष में ||
       
मन का वृन्दावन 'कलुषता' दैत्यों ने ठग लिया-

इसे चंगुल से उबारो, मेरे भारतवर्ष में ||
   
"प्रसून" 'मीरा' एकनिष्ठा और 'राधा' प्रेम की -

इन्हें कारा से निकारो, मेरे भारत वर्ष में ||
 

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