आँसू-अनेक रूप
>> Tuesday, 5 June 2012 –
गज़लिका
नयन में जब आँसू आते हैं, उनमें होता ताप घुला |
घुली हुई होती है पीड़ा,अन्तर का सन्ताप घुला ||
कभी हर्ष-अतिरेक वेदना, इनमें होती घुली हुई -
और कभी अपने पापों का होता पश्त्ताप घुला ||
कभी विरह के शूलों की हैचुभन कसक से भरी हुई -
कभी मिलन के सुमनों का है मोह भरा अनुमाप घुला ||
कभी किन्हीं आँखों के आँसू में धन पाने की खुशियाँ
और कभी मन में चुभता है,निर्धनता का श्राप घुला ||
बिन बोले आँसू कर देते, मन का हर उद्गार प्रकट-
क्योंकि "प्रसून" इन्हीं में होता मूक राग आलाप घुला ||