गज़ल -कुञ्ज (क्रमश:)-(अ)प्रणाम -(२) प्रियतमा प्रणाम -(क)ओ प्रियतमा !ओ प्रियतमा !!
>> Tuesday, 19 June 2012 –
गज़ल (आराधना गज़ल)
ओ प्रियतमा! ओ प्रियतमा !!
जीवों में तुम हो आत्मा !!
महिमा तुम्हारी माप ले -
ऐसी न कोंई है विमा ||
परमा शिवा भव-सुन्दरी -
सत्या हो तुम हो उत्तमा||
रक्षक विष्णु की लक्ष्मी -
शिव की शिवानी तुम उमा ||
हो ज्योति सूर्य में तुम्हीं -
तुम से ही चमका चन्द्रमा ||
नैराश्य रजनी से जननि!
हर लोअरी!तम मय अमा ||
देवी हो विद्द्या ज्ञान की -
हर कला में तव गुण रमा ||
शिल्पों का कौशल पुन्ज तो -
हाथों तुम्हारे ही थमा ||
जननी हो भाव शरीर की
नित्या हो अजरा अजन्मा ||
पाई है गन्ध "प्रसून" ने -
चरणों में तेरे जब नमा ||