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गज़ल -कुञ्ज (क्रमश:)-(अ)प्रणाम -(२) प्रियतमा प्रणाम -(क)ओ प्रियतमा !ओ प्रियतमा !!

 
ओ प्रियतमा! ओ प्रियतमा !!
जीवों में तुम हो आत्मा !!
                

महिमा तुम्हारी माप ले -
ऐसी न कोंई है विमा ||
  
परमा शिवा भव-सुन्दरी -
सत्या हो तुम हो उत्तमा||
 
रक्षक विष्णु की लक्ष्मी -
शिव की शिवानी तुम उमा ||
 
हो ज्योति सूर्य में तुम्हीं -
तुम से ही चमका चन्द्रमा ||
 
नैराश्य रजनी से जननि!
हर लोअरी!तम मय अमा ||
 
देवी हो विद्द्या ज्ञान की -
हर कला में तव गुण रमा ||
  
शिल्पों का कौशल पुन्ज तो -
हाथों तुम्हारे ही थमा ||
    
जननी हो भाव शरीर की 
नित्या हो अजरा अजन्मा ||
 
पाई है गन्ध "प्रसून" ने -
चरणों में तेरे जब नमा ||
  

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