गज़ल-कुञ्ज (क्रमश:)-(अ) प्रणाम - (१)प्रियतम प्रणाम (ग़) (तुम जाने पहंचाने प्रियतम)
>> Monday, 18 June 2012 –
आराधना गज़ल
तुम जाने पहंचानेप्रियतम !
पर लगते अनजाने प्रियतम !!
यह सारा जग भटक रहा है -
प्यार तुम्हारा पाने प्रियतम ||
कोकिल भ्रमरों ने पाये मृदु -
स्वर हैं तुम्हें रिझाने प्रियतम ||
सह ली विरह -वेदना,फिर भी -
गाये मधुर तराने प्रियतम ||
तुम्हें याद कर बिता दिए हैं -
कुछ पल आने जाने प्रियतम ||
जग के सारे रिश्ते नाते -
पड़ते हमें निभाने प्रियतम ||
तुम्हें लुभाते प्यार लुटा कर -
"प्रसून"हँसे सुहाने प्रियतम ||