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गज़ल-कुञ्ज (क्रमश:)-(अ) प्रणाम - (१)प्रियतम प्रणाम (ग़) (तुम जाने पहंचाने प्रियतम)

  
तुम जाने पहंचानेप्रियतम !
पर लगते अनजाने प्रियतम !!

यह सारा जग भटक रहा है -
प्यार तुम्हारा पाने प्रियतम ||
    
    
कोकिल भ्रमरों ने पाये मृदु -
स्वर हैं तुम्हें रिझाने प्रियतम || 
 
सह ली विरह -वेदना,फिर भी -
गाये मधुर तराने प्रियतम ||
    
     
तुम्हें याद कर बिता दिए हैं -
कुछ पल आने जाने प्रियतम ||
  
जग के सारे रिश्ते नाते -
पड़ते हमें निभाने प्रियतम ||


तुम्हें लुभाते प्यार लुटा कर -
"प्रसून"हँसे सुहाने प्रियतम ||

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