दूर की हक़ीकत (मेरे ग्रन्थ 'गज़ल-कुञ्ज' से)
>> Sunday, 10 June 2012 –
गज़ल
दूर से हसीन हर सितारा होता है |
हक़ीकत में आग का शरारा होता है||
बादलों का तन शोला बन जाता है -
पवन की उँगलियों का इशारा होता है ||
इन हठी लहरों को खुद को यों सौंपा क्यों?
डूबते को तिनके का सहारा होता है ||
ओढ़ कर 'निराशा,'मन यत्न छोड़ देता क्यों?
दूर जब नदी का किनारा होता है||
आज तेरे पास है कल मेरे पास होगा -
किस्मत का फ़रिश्ता बंजारा होता है ||
वही निर्भय, निर्बैर, निष्पक्ष होता है-
प्रेम जिसने हृदय में उतारा होता है ||
रूप के जाल में उलझे ऐ लोगो-
पल भर बसंत का नज़ारा होता है ||
किसी एक "प्रसून" की तितली नहीं होती -
निछावर जिस पर दिल हमारा होता है ||