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जो कहना है खुल कर बोल (अर्द्धहास्य)

       

 कर ऐलान बजा कर ढोल |

जो कहना है खुल कर बोल ||

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! 

क्या करेगा जाकर कालेज |
घर बैठे पा जाये नालेज ||
कोई ठेकेदार पकड़ कर -
ले डिग्री डिप्लोमा मोल ||
जो कहना है खुल कर बोल ||१||
 
ये रंगीन नज़ारे देखो |
परियाँ वसन उतारे देखो ||
देख उर्वशी और मेनका -
ऋषियों का मन जाये डोल ||
जो कहना है खुल कर बोल ||२||
 
सर्फ़ मिला कर बिकता दूध |
हम पी लेते आँखें मूँद ||
विष न बनेगा अमृत भैया -
चाहे शहद या मिसरी घोल ||
जो कहना है खुल कर बोल ||३||
 

  
बनता फिरता सबका यार |
नज़र बची, ली डंडी मार ||
बातें करना बाद में भैया -
लाला, पहले पूरा तोल ||
जो कहना है खुल कर बोल ||४||
 


पकड़ के माइक भाषण देता |
एक मवाली-लाल है नेता ||
असली -नकली एक बराबर -
गधे ने  पहना शेर का खोल ||
जो कहना है खुल कर बोल ||५||
   
 टूट गयी है उम्र की पायल |
 अभी तलक न निकली फायल ||
 बदल के 'यौवन' बना 'बुढ़ापा'-
 कितनी की है टाल मटोल ||
 जो कहना है खुल कर बोल ||६||
 
करना है बेकार जूनून |
खिलते लेकर मज़ा "प्रसून"||
जो भी हो भारत की बगिया -
दुनिया में सबसे अनमोल ||
जो कहना हो खुल कर बोल ||७||
    

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  – (15 June 2012 at 17:55)  

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो।

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