मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(ख) झरोखे से (२)सुन्दर इतिहास हमारा है | (प्रसाद गुणीय रचना)
>> Saturday, 6 October 2012 –
गीत(गौरव-गीत)
इतहास यद्यपि परिवर्तनशील है,परन्तु वह हमारी मूल्यवान धरोहर है | उसकी अच्छी और महान बातों को याद रखना चाहिए | महात्मा गान्धी जैसे परिवर्तनवादी,सुधारवादी,पूर्ण मुक्तात्मा महापुरुष ने भी श्रवण कुमार एवं हरिश्चंद्र को अपना आदर्श माना था | पौराणिक चमत्कारवादको नकार कर इतहास की घटनाओं में पौराणिक चमत्कारों को संकेतों या प्रतीकों के रूप में ही लें क्योह कि ये चमत्कारिक प्रतीक सभी धर्मों में हैं |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हाँ,स्वर्ग तलक में लहराते,फहराते,रहे,धर्म-ध्वज हैं ||
‘मानवता’ की रक्षा की है,पर ‘दानवता’ को मारा है ||
हाँ,त्याग-तपस्या,वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||१||
यहाँ श्रवण से पुत्रों ने,की सेवा माता पिता की थी |
कन्धे पर उनको ढोया था,औ गले से मौत लगा ली थी ||
सावित्री सी नारी जिसने,यमराज को भी ललकारा है ||
हाँ,त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||२||
‘अस्तित्व’ लुटाया,त्याग किया,पर अभ्यागत का मान किया||
वशिष्ठ, वाल्मीकि ने अपने ‘तप’ से ‘धर्म’ निखारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||३||
‘भगवान’ ने ‘भक्त के रथ’ को भी बन कर ‘सारथी’हाँका था |
फिर वासुदेव ने ‘धर्म-युद्ध’ का बजा, दिया यों डंका था ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||४||
इन सब ने त्याग,पराक्रम से,भारत का ‘मान’ निखारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||५||
‘कुर्बानी की जलती शम्मां’ का यह ‘रौशन उजियारा’ है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||६||
‘पतझर’ के बाद ‘बसन्त’ मिला हम इस को सँभाल कर रखें |
बेसबरे हो कर नहीं, सब्र से, इसके सभी स्वाद चक्खें ||
हर “प्रसून” हँसता रहे, ध्यान यह रखना काम हमारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||७||
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(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
सुन्दर इतिहास हमारा है |
हमने ‘धरती’ पर ‘आसमान’,’निज श्रम’ से सदा उतारा है |
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||
हम
हरिश्चन्द्र की सन्तानें,अज,रघु,कौत्स के वंशज हैं |
हाँ,स्वर्ग तलक में लहराते,फहराते,रहे,धर्म-ध्वज हैं ||
‘मानवता’ की रक्षा की है,पर ‘दानवता’ को मारा है ||
हाँ,त्याग-तपस्या,वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||१||
यहाँ श्रवण से पुत्रों ने,की सेवा माता पिता की थी |
कन्धे पर उनको ढोया था,औ गले से मौत लगा ली थी ||
सावित्री सी नारी जिसने,यमराज को भी ललकारा है ||
हाँ,त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||२||
शिवि,रन्तिदेव
से पुरखों ने,निज तन, भोजन का दान किया|
‘अस्तित्व’ लुटाया,त्याग किया,पर अभ्यागत का मान किया||
वशिष्ठ, वाल्मीकि ने अपने ‘तप’ से ‘धर्म’ निखारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||३||
‘भगवान’ ने ‘भक्त के रथ’ को भी बन कर ‘सारथी’हाँका था |
फिर वासुदेव ने ‘धर्म-युद्ध’ का बजा, दिया यों डंका था ||
‘अधर्म’ को
हमने ठुकराया, बस ‘धर्म’ को दिया सहारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||४||
विक्रमादित्य से पराक्रमी, भगवान बुद्ध से ‘शान्ति-वीर’
|
हम्मीर,प्रताप औ शिवा सरीखे, थे ‘युद्ध-वीर’ औ ‘क्रान्ति-वीर’ ||
हम्मीर,प्रताप औ शिवा सरीखे, थे ‘युद्ध-वीर’ औ ‘क्रान्ति-वीर’ ||
इन सब ने त्याग,पराक्रम से,भारत का ‘मान’ निखारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||५||
गान्धी, सुभाष,औ भगतसिंह,भारत
माँ के रखवाले थे |
‘आज़ाद’, और विस्मिल जैसे
‘आज़ादी’ के मतवाले थे ||
‘कुर्बानी की जलती शम्मां’ का यह ‘रौशन उजियारा’ है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||६||
‘पतझर’ के बाद ‘बसन्त’ मिला हम इस को सँभाल कर रखें |
बेसबरे हो कर नहीं, सब्र से, इसके सभी स्वाद चक्खें ||
हर “प्रसून” हँसता रहे, ध्यान यह रखना काम हमारा है ||
हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||७||
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