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मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(ख) झरोखे से (२)सुन्दर इतिहास हमारा है | (प्रसाद गुणीय रचना)

इतहास यद्यपि परिवर्तनशील है,परन्तु वह हमारी मूल्यवान धरोहर है | उसकी अच्छी और महान बातों को याद रखना चाहिए | महात्मा गान्धी जैसे परिवर्तनवादी,सुधारवादी,पूर्ण  मुक्तात्मा  महापुरुष ने भी श्रवण कुमार एवं हरिश्चंद्र को अपना आदर्श माना था | पौराणिक चमत्कारवादको नकार कर इतहास की घटनाओं में पौराणिक चमत्कारों को संकेतों या प्रतीकों के रूप में ही लें क्योह कि ये चमत्कारिक प्रतीक सभी धर्मों में हैं |   
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)









सुन्दर इतिहास हमारा है |


हमने ‘धरती’ पर ‘आसमान’,’निज श्रम’ से सदा उतारा है | 

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||

 

हम हरिश्चन्द्र की सन्तानें,अज,रघु,कौत्स के वंशज हैं |

हाँ,स्वर्ग तलक में लहराते,फहराते,रहे,धर्म-ध्वज हैं ||


‘मानवता’ की रक्षा की है,पर ‘दानवता’ को मारा है ||

हाँ,त्याग-तपस्या,वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||१||

यहाँ श्रवण से पुत्रों ने,की सेवा माता पिता की थी |

कन्धे पर उनको ढोया था,औ गले से मौत लगा ली थी ||

सावित्री सी नारी जिसने,यमराज को भी ललकारा है ||

हाँ,त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||२||



शिवि,रन्तिदेव से पुरखों ने,निज तन, भोजन का दान किया|

‘अस्तित्व’ लुटाया,त्याग किया,पर अभ्यागत का मान किया||

वशिष्ठ, वाल्मीकि ने अपने ‘तप’ से ‘धर्म’ निखारा है ||

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||३||


‘भगवान’ ने ‘भक्त के रथ’ को भी बन कर ‘सारथी’हाँका था |

फिर वासुदेव ने ‘धर्म-युद्ध’ का बजा, दिया यों डंका था ||

‘अधर्म’ को हमने ठुकराया, बस ‘धर्म’ को दिया सहारा है ||

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||४||



विक्रमादित्य से पराक्रमी, भगवान बुद्ध से ‘शान्ति-वीर’ |

हम्मीर,प्रताप औ शिवा सरीखे, थे ‘युद्ध-वीर’ औ ‘क्रान्ति-वीर’ ||

इन सब ने त्याग,पराक्रम से,भारत का ‘मान’ निखारा है ||

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||५||



गान्धी, सुभाष,औ भगतसिंह,भारत माँ के रखवाले थे |

‘आज़ाद’, और विस्मिल जैसे ‘आज़ादी’ के मतवाले थे ||




‘कुर्बानी की जलती शम्मां’ का यह ‘रौशन उजियारा’ है ||  

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||६||


‘पतझर’ के बाद ‘बसन्त’ मिला हम इस को सँभाल कर रखें |

बेसबरे हो कर नहीं, सब्र से, इसके सभी स्वाद चक्खें ||

हर “प्रसून” हँसता रहे, ध्यान यह रखना काम हमारा है ||

हाँ, त्याग-तपस्या, वैभव का-सुन्दर इतिहास हमारा है ||७||





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