Powered by Blogger.

Followers

मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(३) गुरु-वन्दना (ज्ञान,बिना गुरु, कभी न होता |) ==========================





ज्ञान,बिना गुरु, कभी न होता |
 ++++++ ========++++++

ज्ञान,बिना गुरु कभी न होता,न है ज्ञान-बिन, प्रेम |

बिना प्रेम के कहीं जगत में,नहीं किसी की क्षेम ||१||


बिना प्रेम के शान्ति नहीं है,बिना शान्ति न ध्यान |

बिना ध्यान धारणा अधूरी,आराधन निष्प्राण ||२||



बिन आराधन, मन के दर्पण की न छंटेगी धुन्ध |

बिना स्वच्छ मन, इस जीवन में व्याप्त रहता द्वन्द ||३||



और द्वन्द से,झील चित्त की,मैली है पारान्ध |

जिससे धुँधले हो जाते हैं,प्रभु-प्रेम-अनुबन्ध ||४||

 


==========================

Post a Comment

About This Blog

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP