जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (5) इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !
>> Sunday, 21 September 2014 –
गीत
(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
मेरे मन में प्रश्न जले हैं, इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !
कौन मसीहा बन कर आये ? अनाचार की आग बुझाये ??
ऊबड़ खाबड़ इस अशान्ति में, कौन शान्ति का पन्थ सुझाये ??
अपने मीठे व्यवहारों से अब जनता को कौन रिझाये ??
सम्बन्धों की लिये पोटली, घर-घर प्यार बाँटने जाये ??
तुम चाहत की कुदाल ले कर, यत्नों के दो हाथ उठा-
पहेलियों के हल पर्तों में दबे हुये हैं, आकर खोदो-
मेरे मन में प्रश्न जले हैं, इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !!1!!
कोई ज़रूरतमन्द ढूँढ़ने, गली-गली अब कौन मंझाये ?
महाविनाशक नींद तोड़ने, कौन क्रान्ति का बिगुल बजाये ??
नफ़रत की जंजीर तोड़ कर, जो गिरतों को गले लगाये ??
अन्धेरों में भरे उजाले, अपनी सारी खुदी जलाये ??
मन की शक्ति बटोरो, मौन के धरातलों पर साहस से-
तर्क और विशवास के हाथों, समाधान के बीज तो बो दो !!
मेरे मन में प्रश्न जले हैं, इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !!2!!
स्नेह-नीर किसके नयनों से, दुखीजनों को देख झरे जो ?
‘लोभ’ देख जो कभी न डोले, ‘भय’ को देख न कभी डरे जो !!
जिसकी खाली झोली देखे, ‘करुणा-धन’ से उसे भरे जो !
स्नेह करे वह जिससे उसके साथ जिए औ साथ मरे जो !!
उस को अपनी चाहत का धन, हीरे-मोती से बढ़ कर-
श्रद्धा और आस्था-निष्ठा, मन में रख कर के तुम सौंपो !
मेरे मन में प्रश्न जले हैं,इन प्रश्नों का
उत्तर तो दो !!3!!
मेरे मन में प्रश्न जले हैं, इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !
कौन मसीहा बन कर आये ? अनाचार की आग बुझाये ??
ऊबड़ खाबड़ इस अशान्ति में, कौन शान्ति का पन्थ सुझाये ??
अपने मीठे व्यवहारों से अब जनता को कौन रिझाये ??
सम्बन्धों की लिये पोटली, घर-घर प्यार बाँटने जाये ??
तुम चाहत की कुदाल ले कर, यत्नों के दो हाथ उठा-
पहेलियों के हल पर्तों में दबे हुये हैं, आकर खोदो-
मेरे मन में प्रश्न जले हैं, इन प्रश्नों का उत्तर तो दो !!1!!
पढ़ो उपनिषद पढ़ो वेद तुम ,मिल जाएंगे उत्तर सारे ,माया का विक्षेप हटेगा