गुरु-वन्दना (हे गुरु जागो)
>> Friday, 5 September 2014 –
गीत
शिक्षक-दिवस पर विशेष
(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हे सोये गुरु जागो जागो, ‘ज्ञान-दीप’उजियार करो
बन कर वशिष्ठ आओ जग में, सोये ‘राम’ जगाओ तो !
हे ‘सान्दीपन’ ‘कृष्ण कन्हैया’ को सत्पन्थ
दिखाओ तो !!
‘राष्ट्र-द्रोह का विप्लव’ देखो, धीरे धीरे पनप
रहा !
हे गुरु बन कर ‘रामदास’ तुम, वीर शिवा तैयार
करो !
हे सोये गुरु,जागो जागो, ‘ज्ञान-दीपउजियार करो
!!१!!
चारों और अकाट्य लग रहा, ’कलि-मल’ का है तामस
घेरा !
अपारदर्शी, काला, गँदला जिसने है सारा जग घेरा
!!
‘पिशाच-दल’ के हाथों मानो, ’अन्धकार-घट’ लुढ़क
रहा -
‘बोध-ज्योति की प्रतिभा-आभा- असि’ से इस पर वार
करो !!
हे सोये गुरु,जागो जागो, ‘ज्ञान-दीप उजियार करो
!!२!!
फिर से ‘नरहरि’ बन् कर आओ, ’तुलसी’ को फिर
चेताओ !
‘मर्यादा की टूटी माला’ जोड़ जगत को पहनाओ !!
मोह के हाथों ‘चित्र ज्ञान का, ’अन्त:-पट’ पर
है मिट रहा |
मन में मैल अबोध तत्व की, इसका शीघ्र निखार करो
!
हे सोये गुरु,जागो जागो, ‘ज्ञान-दीप’-उजियार
करो !!३!!
‘घृणा,वैर,लालच का लावा’, हर दिल
‘ज्वालामुखी’बना |
इसे शान्त कर,करो शिवो मय, ’त्याग-प्रेम का
मन्त्र’सुना ||
‘विडम्बना के घन’ छाये,हैं, ’अकल्याण-रस’ बरस
रहा |
बनो पुरो-हित,’मानवता’ के, ’हित-जल’ की बौछार
करो !
हे सोये गुरु,जागो जागो, ‘ज्ञान-दीपउजियार करो
!!४!!
जाग भी जाओ गुरु ।
बहुत सुंदर ।
शिक्षक दिवस पर बहुत बढ़िया सामयिक चिंतन
शिक्षक दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं!