हिन्दी के प्रति (6) पहँचान !
>> Wednesday, 17 September 2014 –
ग़ज़ल-शैली
(हिन्दी-पखबाड़े में तीसरी रचना)
(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हाँ, हमारी
संस्कृति की पहँचान है हिन्दी !
राष्ट्रभाषा और
राष्ट्र की शान है हिन्दी !!
हिन्दी में
विरासतें हमारी संरक्षित हैं-
विश्व में भारत
की तो जान है हिन्दी !!
कबीर, सूर, तुलसी
और मीरा की चहेती है-
भक्ति-प्रेम का
समन्वित ज्ञान है हिन्दी !!
जायसी, खुसरो,
रहीम को यह बहुत प्यारी है-
सुजान रसखान की
रस-खान है हिन्दी !!
बिहारी की
‘गागर’ में ‘सागर’ बन लहराई-
भक्ति में
श्रृंगार का मिलान है हिन्दी !!
दीनबन्धु
सी.एफ. एंड्रयूज़ की यह श्रद्धा है-
भेद-भाव-रोग का
निदान है हिन्दी !!
फादर कामिल
बुल्के ने इसको निखारा है-
अपनत्व में गगन
के समान है हिन्दी !!
उर्दू इसे
अनुजा सी प्यारी है दुलारी है-
दरिया दिल धरती
सी महान है हिन्दी !!
अंग्रेज़ी अच्छी
चन्द शहरों की भाषा है-
अस्सी प्रतिशत
देश की ज़ुबान है हिन्दी !!
राष्ट्र को
एकता के सूत्र में बाँधे है-
सच पूछो तो
तिरंगे का निशान है हिन्दी !!
हिन्द की
भाषाओं का, हिन्दी समागम है-
हर मौसम, हर
ऋतु का रुझान है हिन्दी !!
नेताओं के
मकड़-जाल में फँसी तितली सी-
सियासत-कुचक्र
से बेजान है हिन्दी !!
मधुवन के हर
“प्रसून”-गन्ध से सुवासित है-
वसन्त की बहार
का सामान है हिन्दी !!
सुंदर रचना ।