गज़ल-कुञ्ज(गज़ल संग्रह)-(ल) बंजर दिल(२) पठारों से हृदय
>> Wednesday, 25 July 2012 –
गीत (लोगों की बेरुखी की झाँकी)
गज़ल-कुञ्ज(गज़ल संग्रह)-(ल) बंजर दिल(२) पठारों से हृदय
पठारों से हृदय के पथरीले मंज़र देखिये |
दया, करुणा के लिये ये हुए ये बंजर देखिये ||
बुलबुलों,मैनाओं ने है विवश समझौता किया -
सोने, चाँदी के बड़े मजबूत पिंजर देखिये ||
Q
पंकजों में छुपे भँवरे, तितलियाँ व्याकुल हुये-
ताल में घुस आये भूखे कई कुंजर देखिये ||
मीत बनने के लिये, नाटक रचाने आ गये -
मीत बनने के लिये, नाटक रचाने आ गये -
आस्तीनों में छुपाये लोग खंज़र देखिये ||
उठी हैं तूफ़ान लेकर कई पछुवा आँधियाँ-
उठी हैं तूफ़ान लेकर कई पछुवा आँधियाँ-
सभ्यता की छतरियाँ हैं हुई जर्जर देखिये ||
वंचना की पूतना है 'प्रेम' को छलने चली -
वंचना की पूतना है 'प्रेम' को छलने चली -
बजाती मायाविनी माया की झांझर देखिये ||
हरे बागों,बगीचों, वन वितानों की कमी से -
हरे बागों,बगीचों, वन वितानों की कमी से -
बसन्ती मौसम भी लगता, आज पतझर देखिये ||
मुर्झा गये हैं आस्था की क्यारी के ये "प्रसून"
मुर्झा गये हैं आस्था की क्यारी के ये "प्रसून"
हुए निर्जल भावना के कई निर्झर देखिये ||
बहुत सुन्दर बोलते चित्र बेहतरीन प्रस्तुति