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गज़ल-कुञ्ज(गज़ल संग्रह)-(ल) बंजर दिल(२) पठारों से हृदय


गज़ल-कुञ्ज(गज़ल संग्रह)-(ल) बंजर दिल(२) पठारों से हृदय

 
पठारों से हृदय के पथरीले मंज़र देखिये |


दया, करुणा के लिये ये हुए ये बंजर देखिये ||
 
बुलबुलों,मैनाओं ने है विवश समझौता किया -


सोने, चाँदी के बड़े मजबूत पिंजर देखिये ||    
 Q    


पंकजों में छुपे भँवरे, तितलियाँ व्याकुल हुये-

ताल में घुस आये भूखे कई कुंजर देखिये ||

   
मीत बनने के लिये, नाटक रचाने आ गये -

आस्तीनों में छुपाये लोग खंज़र देखिये ||



उठी हैं तूफ़ान लेकर कई पछुवा आँधियाँ-

सभ्यता की छतरियाँ हैं हुई जर्जर देखिये ||
 

वंचना की पूतना है 'प्रेम' को छलने चली -

बजाती मायाविनी माया की झांझर देखिये ||
 
हरे बागों,बगीचों, वन वितानों की कमी से -

बसन्ती मौसम भी लगता, आज पतझर देखिये || 


मुर्झा गये हैं आस्था की क्यारी के ये "प्रसून"

हुए निर्जल भावना के कई निर्झर देखिये ||

 
 

Rajesh Kumari  – (25 July 2012 at 09:21)  

बहुत सुन्दर बोलते चित्र बेहतरीन प्रस्तुति

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