बोल रे भैया हल्ला आज
>> Friday, 6 July 2012 –
गीत (जागरण-गीत)
सोया जाग मोहल्ला आज |
बोल रे भैया हल्ला आज ||
ललनाओं की अस्मत पर |
मेहनतकश की किस्मत पर ||
घात लगाए बैठा है ||
अकड़ा हुआ है ऐंठा है ||
उलझा हुआ फरेबों में -
उस दबंग का लल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||१||
ह्फ्ता,चन्दा, पगड़ी ले |
ठगता, रकमें तगड़ी ले ||
नेताजी का बेटा है|
वह मसनद पर लेटाहै ||
घुस कर कहीं 'गरीबों' में -
खाता पड़ा निठल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||२||
इसका जीवन ऐश भरा |
दोनों हाथ समेटा है |
अपना हर दुःख मेटा है ||
अजगर के तन सा भारी -
उस तस्कर का गल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज||३||
राजनीति के कुछ पण्डे |
खाते पीते मुस्तंडे ||
कितना लाग लपेटा है |
'दूध' नहीं 'सपरेटा' है ||
दे कर के कोरा भाषण -
चले झाड कर पल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||४||
वाह ..बहुत खूब..