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बोल रे भैया हल्ला आज


 
 सोया जाग मोहल्ला आज |
बोल रे भैया  हल्ला आज || 
 
ललनाओं की अस्मत पर |
मेहनतकश की किस्मत पर ||
घात लगाए बैठा है ||
अकड़ा हुआ है ऐंठा है ||
उलझा हुआ फरेबों में -
उस दबंग का लल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||१|| 
      
ह्फ्ता,चन्दा, पगड़ी ले | 
ठगता, रकमें तगड़ी ले ||
 नेताजी का बेटा है|
वह मसनद पर लेटाहै || 
घुस कर कहीं 'गरीबों' में -
खाता पड़ा निठल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||२|| 
     
इसका जीवन ऐश भरा |
दोनों हाथ समेटा है |
अपना हर दुःख मेटा है ||
अजगर के तन सा भारी -
उस तस्कर का गल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज||३||

         
राजनीति के कुछ पण्डे |
खाते पीते मुस्तंडे ||
कितना लाग लपेटा है |
'दूध' नहीं 'सपरेटा' है || 
 दे कर के कोरा भाषण -
चले झाड कर पल्ला आज ||
बोल रे भैया हल्ला आज ||४||

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