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वर दायी ताप

कुण्ठा की हिम-शिला पिघलने वाली है

जमी हुयी हर ताकत गलने वाली है ||

देखो तो रोशनी यहाँ होगी जग मग -
बुझी मोमबत्ती फिर जलने वाली है ||

मानवता को हमने कई खुराकें दीं-
इसे जिन्दगी फिर से मिलने वाली है ||

साहस का संचार हृदय में हुआ अभी -
गिरती हालत पुन: सँभलने वाली है ||

आशाओं का डीजल इसमें डाला है -
विश्वासों की गाड़ी चलने वाली है ||

वासुकि निश्चय का प्रयास का मन्दराचल-
मन्थन से हर लहर उछलने वाली है ||

महकी गन्ध बटोरो अपने प्राणों में -
'प्रसून' की यह बगिया खिलने वाली है ||


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