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देखो

गुलों को बस खुश नजर से देखो |

कभी भी मत बद नजर से देखो ||

इश्क के भी आज कल मुअल्लिम होते -

खुल गये ऐसे भी मदरसे देखो||

तुमने पाईं तुम्हारी ही होंगीं -

थालियाँ परोसीं सब्र से देखो ||

जवानी दिलों के जोश में होती -

मत मुझे मेरी उम्र से देखो ||

किधर जाए ,चंचल शोख यह उड़ कर -

इश्क क्यों तितली के पर से देखो ||

जरा सी मुश्किल थी पार हो जाती -

लौट क्यों आये सफर से देखो ||

"प्रसून" की आँख में नमी तिर आयी-

गैरों के गम के असर से देखो ||







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