देखो
>> Sunday, 8 April 2012 –
गजल
गुलों को बस खुश नजर से देखो |
कभी भी मत बद नजर से देखो ||
इश्क के भी आज कल मुअल्लिम होते -
खुल गये ऐसे भी मदरसे देखो||
तुमने पाईं तुम्हारी ही होंगीं -
थालियाँ परोसीं सब्र से देखो ||
जवानी दिलों के जोश में होती -
मत मुझे मेरी उम्र से देखो ||
किधर जाए ,चंचल शोख यह उड़ कर -
इश्क क्यों तितली के पर से देखो ||
जरा सी मुश्किल थी पार हो जाती -
लौट क्यों आये सफर से देखो ||
"प्रसून" की आँख में नमी तिर आयी-
गैरों के गम के असर से देखो ||