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स्वच्छता अपने पाँव जमाए ! (नर्काचौदस पर्व पर विशेष)

 (सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 
घोर मलिनता मिटे, स्वच्छता अपने पाँव जमाये !
दीप जले तो जले रोशनी दिल में भी हो जाये !!
पाप और भ्रष्टाचारों को ठोकर मार भगायें !
मानवता की मधुर भावना, सबके हृदय जगायें !!
समानता का मन्त्र उचारें, सारे निबल उबारें !
गिरे हुये हों, उन्हें उठा कर, अपने गले लगायें !
कलह-द्वंद के सारे दानव, मारें, उन्हें मिटायें !!
वैर-भाव से सब मुहँ मोड़ें, प्रीति सभी को भाये !
दीप जले तो जले रोशनी दिल में भी हो जाये !!1!!
करके सब श्रम-दान, साथ ही प्रगति-पन्थ पर आयें !
गली-गली में रौनक बरसे, घर-घर को चमकायें !!
ध्न्हीनों के घर में भी अब उज्जवल प्रकाश बरसे !
ऐसा कोइ सूर्य गगन से उतार क्र दमकायें !!
आलस-अघ औ ओघ मिटाकर, नई चेतना लायें !
हर कोई अब अपनी मेहनत का पूरा फल पाये !
 दीप जले तो जले रोशनी दिल में भी हो जाये !!2!!
बाग़ और वन नये-नये नित, नगर-गाँव लगवायें !
सुन्दर-सुन्दर “प्रसून” इनमें, खुशी-खुशी महकायें !!
जंगल अब सीमेंट-पत्थरों के उगने से रोकें-
अखिल धरा पर प्रेम जगा कर, इसको स्वर्ग बनायें !!
पर्यावरण सुधारें, सुथरा बातावरण बनायें !
प्रदूषणों के नरकासुर का चिन्ह न रहने पाये !
 दीप जले तो जले रोशनी दिल में भी हो जाये !!3!!


     



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