तेरे नाम करूँ
>> Tuesday, 22 May 2012 –
गज़ल
दौलत की क्यों चाह तुझे है,यह दिल तेरे नाम करूं ?
मुझे पिला दे प्यार की मदिरा, महफ़िल तेरे नाम करूं ||
तू कश्ती बन जा प्रिय आए जीवन के तूफानों में-
मेरी मोहब्बत के हरियाले साहिल तेरे नाम करूं ||
अरमानों के कोहेतूर में आग लगा के भस्म करूं-
लगा ले अपनी इन आँखों में, काजल तेरे नाम करूँ||
मधुर कल्पना के मृग-छौने आशाओं के फूल खिले-
महक लुटाते, रूप लुटाते जंगल तेरे नाम करूँ ||
तेरे दर्द अमंगल जैसे,मैं हर लूँगा दो पल में-
तुझ पे वारूं कई जन्म के मंगल तेरे नाम करूँ ||
"प्रसून"का हर वजूद तुझसे,तुझ पर ही न्योछावर है-
तपती जेठ पे छाया करते बादल तेरे नाम करूँ||