प्यार करें हम
>> Wednesday, 25 July 2012 –
लघु गज़ल
आओ दो पल प्यार करें हम |
मरुधर में रस धार भरें हम ||
वीणा सोई सुप्त तराने -
जागृत सक्रिय तार करें हम ||
चार दिनों की मिले ज़िंदगी -
क्यों कुछ् दिन बेकार करें हम ??
सच है, यह संसार सार है |
क्यों इसको निस्सार करें हम ||
विप्लव है मन के सागर में -
शान्त अब यह ज्वार करें हम ||
कई 'आग्रह हुए नुकीले -
इन पर चलो प्रहार करें हम ||
"प्रसून"प्यासा, मिलन के लिये -
जिन्दा कोंई बहार करें हम ||