हाय रे हाय !!
>> Friday, 13 July 2012 –
नव गीत
दोस्ती में छल , हाय रे हाय ! तेज़ाब में गंगाजल, हाय रे हाय !!
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हीर से मिलने को, राँझा कलपता हुआ !
'वासना' की भट्टी में 'काम' है तपता हुआ ||
'प्यार गया है उबल, हाय रे हाय !!
तेज़ाब में गंगाजल, हाय रे हाय !!१!!
जेठ की दोपहरी में,बरसती आग से |
मौसन-परिवर्तनसे, विखण्डित भाग से ||
सूख गया है कमल, हाय रे हाय !!
तेज़ाब में गंगाजल, हाय रे हाय !!२!!
प्रीति की सीता, चाहत का अशोक वन |
उदारता तज त्रिजटा, निकली बन ठन ||
राम से रावण प्रबल, हाय रे हाय !!
तेज़ाब में गंगाजल, हाय रे हाय !!३!!
जज्बों पर स्वार्थों की करारी चोट से |
ज़माने सोच की बदमैली खोट से ||
"प्रसून की आँखें सजल, हाय रे हाय !!
तेज़ाब में गंगाजल,हाय रे हाय !!४!!