कुछ मुक्तक (मनोविचार)
>> Sunday, 29 July 2012 –
मुक्तक
(१)
दौलत से कहीं कोई अमीर होता है |
अमीर वह, जिसका कोंई ज़मीर होता है ||
लोहा तो लोहा है, चाहे जो बना लो-
लोहा जो पिट जाये,शमशीर होता है ||
अँधेरे का जाल जब इतना विकराल है |
फिर हमारे हाथ में क्यों नहीं मशाल है ||
शोषण से संघर्ष होते रहे वर्षों तक -
आज भी जोंकें क्यों इतनी बहाल हैं ??