टूटते देखे हैं(यथार्थ-चित्र)
>> Tuesday, 17 July 2012 –
गीत (प्रतीकात्मक )
आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं |
नाते रिश्तेदार टूटते देखे हैं ||
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पैसों से बिक गये हीर औ रांझे हाँ !
सपनों में दिखते सोना, चाँदी,पैसा ||
इस पैसे के लोभ के निठुर दबावों से-
क़समें खा कर यार टूटते देखे हैं ||
आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं ||१||
विश्वासों के काँटों पर चलते राही |
बड़ी कठिन इन काँटों पर आवाजाही ||
इतनी चुभन मिली है, छलनी पाँव हुये -
रोये हो कर ज़ार,टूटते देखे हैं ||
आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं ||२||
मिलन की बातें सुनी हुए हम दीवाने |
उल्लासों से गूँथे प्रेम से पहनाने ||
बड़ी बेरहम चोट वक्त के हाथों की -
वे फूलों के हार टूटते देखे हैं ||
आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं ||३||
डूब रही सभ्यता- नाव मंझधारों में |
कई मसीहा नाविक लगे सुधारों में ||
"प्रसून" भौतिक वित्त्वाद-तूफ़ानों से-
नावों के पतवार टूटते देखे हैं ||
आपस के व्यवहार टूटते देखे हैं ||४||
सच्चाई को बयान करते हुए बोलते चित्र बहुत अच्छी प्रस्तुति