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मन मेरा दर्पण हो जाए (अंत:प्रेम की अभिव्यक्ति)


यदि तुम को अर्पण हो जाए ||
 मन मेरा दर्पण हो जाये ||
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इतना व्यापक प्यार करूँ मैं | 
सभी हदों को पार करूँ मैं || 
भेद नहीं हो तुम में, मुझ में || 

ऐसा एकाकार करूँ मैं ||

धरूं ध्यान में रूप तुम्हारा -
तो खुद का दर्शन हो जाये ||१||
       


अपना हर सुख तेल बना दूं |


अपनी उम्र का दिया जला दूं ||


इच्छा की थाली में भर कर 

विश्वासों के सुमन चढा दूं ||

मन मंदिर में 'प्रेम देवता'  

का पूरा अर्चन हो जाए ||२||

      


गीत तुम्हारी याद के गाऊँ |


झूम झूम कर धुन दोहराऊँ ||


कोंई सुने, बहुत अच्छा है-


नहीं तो केवल तुम्हें सुनाऊँ ||


'सुरति' में डूब के झूमूँ नाचूं -


ऐसा भी कीर्त्तन हो जाए ||३||                                                                                                   


 


वेदी कर लूँ माटी का तन |


'काम'-कामना करूँ मैं हवन||


होम करूँ 'चाहत'-समिधायें -


ऐसा पूरा करूँ मैं यजन ||


"प्रसून"त्यागूँ तुम पर सब कुछ-


सफल अखिल जीवन हो जाए ||४||

  


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