विगत वर्ष की विदाई | शुभ कामना !
>> Tuesday, 31 December 2013 –
गीत
(सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)
विगत वर्ष की विदाई |
(अब की नए साल में)
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कोई भी दुखी न न
हो, खुश हो हर इक हाल में !
अबकी नये साल
में | अबकी नये साल में ||
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चुभे न ‘पैनी नोक’ सा, दर्द ‘किसी
बात’ का !
मत किसी के ‘दिल’ में हो, अँधेरा
‘काली रात' का !!
‘उलझनों का अन्धकार’, दूर चारों ओर
हो !
‘कोशिशों के तेल’ में, एक नया ‘ज़ोर’
हो !!
जली रहे, बुझे
नहीं, ‘दम’ रहे ‘मशाल’ में |
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||१||
‘ठगी की बिसात’ पर, चल के ‘छल की
‘गोटियाँ’ !
खाये कहीं कोई भी, ‘’मुफ़्त’ की न
‘रोटियाँ’ !!
रास्ते’ सभी चलें, सचेत हो के अक्ल
से !
‘चेतना’ बनी रहे, और जियें ‘फक्र’
से !!
फँसे न कोई
‘मेमना’, ‘भेड़ियों के जाल में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||२||
सोई हुई ‘चेतना’, चलो उसे जगाएँ हम !
जला के ‘नए दीप’ कुछ, ‘अन्धेरे’ को भगायें हम !!
‘छल-कपट’ के ‘जानवर’, घूमते जहाँ-तहाँ |
कहाँ ‘शिकार’ मिल सके, ढूँढते जहाँ-तहाँ ||
ढूँढो ‘वह
सियार’ जो, छुपा ‘हिरण’ की ‘खाल’ में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||३||
देखो, ‘धुयें-धूल’ से, मैला हो गया ‘गगन’ !
पेड़ सारे कट गये, खाली हो गया ‘चमन’ ||
‘विकास’ के नाम पर, ‘प्रकृति’ से हुई ‘ठगी’ |
‘काइयाँ-जलकुम्भियाँ’, ‘पोखरों’ में हैं उगी ||
चलो इनको साफ़
कर, ‘कमल’ खिलायें ‘ताल’ में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||४||
कई ‘आम आदमी’, आज
‘खास’ हो गये |
‘अग्नि-परीक्षाओं’ में जैसे ‘पास’हो गये ||
उड़ा रहे ‘उम्मीद’ की, ‘नयी-नयी पतंग’ को |
हलका कर दिया बहुत, ‘निराशा के रंग’ को ||
अब न उलझ जायें
वे, ‘सियासी बबाल’ में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||५||
चल पड़ा ‘समाज’
आज, ‘बदले हुये दौर’ में |
‘रात’ बदल गयी
है, इक ‘सुहाने भोर’ में ||
हर तरफ़ ‘प्रकाश’
हो, हो न कहीं ‘कालिमा’ !
बाँटती ‘खुशी’
रहे, ‘आस’ की यह ‘लालिमा’ !!
अब कहीं न ‘खोट’
हो, ‘सुबह’ के ‘उजाल’ में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||६||
खिले खिले से खुशनुमा, ‘बाग’ में,
“प्रसून” हों !
‘भँवरों’ और ‘तितलियों’ में,
‘प्यार’ के ‘जुनून’ हों !!
हर किसी की ‘सोच’ में, ‘पतझरों’ का
अन्त हो !
‘जिन्दगी’ के ‘मौसमों में, हर तरफ़
‘बसन्त’ हो !!
‘गम’ नहीं,
‘खुशी’ फले, फूले ‘डाल डाल’ में !
अब की नये साल
में | अब की नये साल में ||७||
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मेरे ब्लॉग 'साहित्य-प्रसून' पर 'नयी करवट' (दोहा-ग़ज़लों पर एक काव्य ) में काल-बोध(क) विगत वर्ष की विदाई |में
आप का स्वागत है !
नव वर्ष की बधाई..............