घनाक्षरी वाटिका |षष्ठम् कुञ्ज(मिलन-पथ) प्रथम पादप(प्रेम-योग) (ख)अटूट प्रेम |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
साधना में 'रहस्यवाद'
साधना में 'रहस्यवाद'
==================================
‘प्रेम के पुजारी हैं तो, हटा के सभी से ‘मन’,
और एक ‘पिय’ से ही ‘लगन’ लगाइये !
कोई हों ‘हालात’ पर, बनी रहे ‘आस’ और,
‘उस’ से ही ‘मिलन’ की ‘ललक’ जगाइये !!
‘मन के बगीचे’ में हों, ‘पौधे सच्चे प्रेम के’ ही,
‘प्रेम’ फले फूले ऐसी ‘फ़सल’ उगाइये !!
‘घृणा-वैर’ के ‘दुराव’, ‘छल’ औ ‘कपट’ आदि,
के जो ‘पशु’ चरें ‘उसे’, ‘उन’ को भगाइये !!१!!
‘सारे स्वाद’ ‘उसी’ की, दिलायें याद ‘आठों याम’,
‘एक प्रेम’ छोड़ सारे ‘स्वाद’ भूल जाइये !
उपजे ‘उसी’ का ‘नाद’, मीठा ‘उसी’ का ‘निनाद’,
‘प्रीति वाली वीणा’ ऐसी, ‘ध्यान’ में बजाइये !!
और ‘उसी धुन’ पे जो, नाचे झूमे ले के ‘मज़े’,
‘आप’ ऐसी ‘मस्त मृगी’ जैसे बन जाइये !!
‘ध्यान’ में मिलेंगे ‘पिया’, ‘सूरत’ लगे जो ‘साँची’,
‘गली-गली’ ‘जहाँ-तहाँ,’ जा के न मंझाइये !!२!!
‘रूप’, ‘चहेते’ का ही, ‘पलकों’ में बन्द कर,
हटा के ‘सभी’ से ‘ध्यान’ उसी पे जमाइये !
छोड़ के ‘लगाव’ सारे, हटा के ‘सभी’ से ‘चित्त’,
एक ‘उसी प्यारे’ में ही, ‘दिल’ को रमाइये !!
‘मन के सदन’ से, निकाल कर ‘राग’ सारे,
‘रूप’, ‘निज प्यारे’ का ही, ‘उस’ में बसाइये !!
जो भी करें ‘काम’ सारे, सौंपें ‘पिया’ को ही आप,
हर ‘काम’ में ‘आनन्द’ उस का ही पाइये !!३!!
बहुत सुंदर !
बहुत सुन्दर। कृष्णभावना भावित जीवन दर्शन ,सारा कृष्णभावामृत उड़ेल दिया आपने इस सांगीतिक छंद बद्ध रचना में।
बहुत सुन्दर। कृष्णभावना भावित जीवन दर्शन ,सारा कृष्णभावामृत उड़ेल दिया आपने इस सांगीतिक छंद बद्ध रचना घनाक्षरी वाटिका में जिसके हर सुमन में भक्ति रसधार है। राधा भाव है।