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धन तेरस पर दो रचनाएँ !

               (सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)       
                        धन-तेरस के लिए चित्र परिणाम
        (1) एक गज़लिका (धन-तेरस) (नई रचना) 
अब की धन-तेरस में धन का अनुचित लोभ न जागे !
बाँटे पुण्य का दीप रोशनी, पाप-अन्धेरा भागे !!
कुबेर वर दे हर साधक को, प्रसन्न होकर इस दिन !
सच्चे मन से जीवन जीने, को जो भी धन माँगे !!
दुर्भाग्य का साया सब के सर से अब हट जाए-
सौभाग्य मिल जाए उनको, खुश हों सभी अभागे !!
धन्वन्तरी वरद हों सबको, कृपा-प्रसाद हमें दें-
सत्कर्मी को मिले स्वास्थ्य औ, विषम रोग हर भागे !!
“प्रसून” सारे बाग के विहँसें, दर्द रास्ते भूलें-
हेट निराशा का तम सब को, दुनिया सुन्दर लागे !!   

             
         (2) धन तेरस की  वधाई ! (एक पुरानी पिछले वर्ष की रचना) 
                  
धन तेरस की तुम्हें वधाई, दीपावली से पहले !

ऐसा पावन प्रेम जगाये, अबकी यह दीवाली |

धरा और आकाश,पवन, जल, दें सब को खुशहाली ||

हर चहरे पर रहे साल भर, यहाँ खुशी की लाली |

कहीं किसी के मन-आँगन में, गिरे न रातें काली ||

राम करें, पूरे हो जायें, सब के स्वप्न रुपहले ||

धन तेरस की तुम्हें वधाई, दीपावली से पहले !!1!!

धन्वतरि की पूजा का दिन, आज साथियो आया |

यह पूजा सार्थक तभी, यदि, तन-मन स्वस्थ बनाया ||

नियम और संयम से जिसने, हर आचरण निभाया |

वही व्यक्ति, इस देव-वैद्य को, समझो, निश्चय भाया ||

चिर आयु-वरदान आज वह, बढ़ कर इन से ले ले ||

धन तेरस की तुम्हें वधाई, दीपावलीसे पहले !!2!!

‘धन-पति कुबेर’ की पूजा का यह दिन, लोग बताते |
 
कहते हैं, ‘इस पूजा’ से, सब लोग, ‘धनी’ हो जाते ||

‘धन-लोलुपता’ छोड़, ‘परिश्रम’ से जो ‘वित्त’ कमाते |

‘अहंकार-मद-हीन अमीरी’ में ‘जीवन’ जो बिताते ||

‘राजयोग’ का पालन करते, ये ‘ज्ञानी अलबेले’ ||

‘धन तेरस’ की तुम्हें ‘वधाई’, ’दीपावली’ से पहले !!3!!

“प्रसून” तुम ईमान बेच कर, धन मत कभी कामाना !

कोई ज़रूरतमन्द फाँसने, मत छल-जाल बिछाना !!

घूस की बंछी में मत मछली, कोई कहीं फँसाना!

भ्रष्टाचार के पंक-मार्ग पर, मत भूले से जाना !!

कभी बनाना मत काले धन से तुम महल दुमहले !!

धन तेरस की तुम्हें वधाई, दीपावली से पहले !!4!! 

      कुबेर पूजन के लिए चित्र परिणाम







सुशील कुमार जोशी  – (21 October 2014 at 06:46)  

सुंदर रचनाऐं । दीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो ।

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