Powered by Blogger.

Followers

जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (6) आत्म बल अपना सँजोयें ! (गीत)

 (सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
त्याग दें सुस्ती का आलम !  बटोरें ताज़ा नया दम !!
रुकावट आये न कोई-अनवरत चलते रहें हम !!
त्याग करके नींद गहरी-
तुरत जागें अब न सोयें !
आत्म बल अपना सँजोयें !!1!!
 
  उदासी सब की भगायें ! फूल खुशियों के खिलायें !!
चुभन के माहौल में भी-अमन की बस्ती बसायें !!
नफ़रतों के धरातल पर-
प्यार के कुछ बीज बोयें !
आत्म बल अपना सँजोयें !!2!!
मत किसी को कार बाँटें ! गन्ध के उपहार बाँटें !!
घृणा का आँचल समेटें-हो सके तो प्यार बाँटें !!
मत किसी के मन-अटल में-
नुकीले काँटे चुबोयें !
आत्म बल अपना सँजोयें !!3!!
होठ पर मुस्कान हो बस ! मधुर आशा-गान हो बस !!
चोट खा विशवास अपना-मत कभी निष्प्राण हो बस !!
छुपायें हर पीर मन की-
किसी के सम्मुख न रोयें !
आत्म बल अपना सँजोयें !!4!!

Post a Comment

About This Blog

  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP