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मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य) -(क)ईश-वन्दना अनन्त प्रभु सत्ता (विराट-रूप) ============





 


अनन्त प्रभु सत्ता

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‘अनादि’ से ‘अनन्त’ तक जिसका विस्तार है |

‘सृष्टि’ को उठाये जो फिर भी निर्भार है ||



‘अखिल वेद, जिसकी ‘बुद्धि’,जिसका ‘मन’,’व्योम’ है |

‘वनस्पति,पादप,तरु’,जिसके बने ‘रोम’ हैं ||


‘दिन’ जिसका ‘मुख मण्डल’, ‘निशा’ ‘केश राशि’ है |

‘चाँदनी’ है ‘मुकुर-बिम्ब’,’पवन’ जिसकी ‘साँस’ है ||


‘नद, नदियाँ,जलधि,झील’,जिसके है जीवन-रस |

‘खिले हुये सुमनों’में,स्वयम जो रहा है हँस ||





सूर्य,चन्द्र,तारों’ में,जिसका है ‘तेज-पुन्ज’ |

जिसकी ‘श्वास-वास’ से,महके ‘वन्-बाग,कुञ्ज’ ||


अन्त हीन उस प्रभु को,कोटि बार है नमन !

गीतों की रचना हेतु, “प्रसून” का है जतन ||

  


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