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सामयिकी(परिवार-दिवस)






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(क) हाइकू नुमा क्षणिकायें |

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(१)

परिवार-दिवस-

आओ हम सब मनायें !

परिवार को सुखी बनायें !!

(२)
सुखी परिवार |

आज का ‘बड़ा’ नहीं |

‘छोटा परिवार’ ||




(३)

आपस में प्रेम |

यानी परिवार की-

कुशल-क्षेम |

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(ख) क्षणिकायें |

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(१)

दिल छोटा है तो-

‘मियाँ-बीवी-बच्चे’ हैं ‘परिवार’ |

दिल कुछ बड़ा है-

‘ बस्ती-मोहल्ला-नगर’ है परिवार ||

दिल और बड़ा है-

‘इलाका-प्रान्त’ को मानें परिवार ||

दिल बहुत बड़ा है-

‘देश-महाद्वीप’ है परिवार ||

और यदि-

दिल आसमान सा है विशाल |

हम हैं मानते खुद को ‘ईश्वर का लाल’ ||

तो सारी वसुधा है परिवार !!

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(२)
‘हम’ बड़े, बड़े और बड़े होते जायें |

अपना परिवार ‘बड़ा’ बनायें |

‘आकार’ में  नहीं |

‘संख्या’ में नहीं ||

बड़ा बनायें |

‘नीयत’ को न बनायें ‘खोटा’ |

पारिवार को करें सीमित यानी छोटा ||

‘छोटा परिवार-सुखी परिवार’ |

ताकि घटे ‘धरती मैया का भार’ ||


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