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ज़लज़ला (भीषण परिवर्तन) (क)वन्दना) (१)ईश-वन्दना)-हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!


 ज़लज़ला
(zalzalaa)
  (भीषण परिवर्तन)



'स्वतंत्रता' का 'धीरज टूटा |


हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!


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कलि'ने अपना 'बिगुल' बजाया |

'पुण्य-दलन अभियान ' चलाया ||




चली 'वासना' अपनी बाहें 'तृष्णा' की बाहों में डाले |


तुम्हें छोड़ कर कौन जगत में जो इन सब से सृष्टिबचा ले !! 


'राजनीति'बन ठन कर निकली |


खेल' खेल कर स्वाँग सा झूठा-



ठठ्ठा मार रही है जी भर | 



हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!१!!



हैं 'विनाश' ने नयना खोले | 


'धर्म-रत्न 'सब छिपे टटोले ||

लगता इन्हें लूटने आया,'दुराग्रह' को साथ में लाकर |



'मानवता की रत्न-पिटारी' पटकी,खोली, और हिलाकर ||

चुरा लिए हैं  'शील के मोती '|


किया है अपहृत 'प्रेम अनूठा '|


'विश्वासों की माला' ली हर |


हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!२!! 



नाच रही है अट्टहास कर |


चहुँ तरफा मैली कुवास भर ||

धसक धसक कर धरा डोलती,लगता कोई ज़लज़ला आया |


'सज्जनता' को पीड़ा पहुँची,न७यनोन नीर छलकता आया ||

'हिंसा','छलना',सहेलियाँ दो,


'मर्यादा' को दिखा अंगूठा |


निकली हैं, लगता मद पी कर |

हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!३!!



चला  'स्वेच्छाचार'  रौंदने |



'मानवता'  की जड़ें खोदने ||

'करुणा ',' दया 'औ 'ममता ' भागीं,छुपने अपनी 'लाज 'बचाने |


संयम,नियम के बन्धन तोड़े,'मनमानी ' का नाच नचाने ||


ज्यों हिंसक मरखने बैल ने, 


तोड़ दिया हो अपना खूँटा |   



कुचल रहा हो,सबको जी भर |


हे प्रभु उतरो इस धरती पर !!४!!



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