मेरी पुस्तक 'ठहरो मेरी बात सुनो' में एक ताज़ा सामयिक परवर्धन- 'माता की पुकार' (व्याजोक्ति)
>> Tuesday, 25 December 2012 –
गीत (व्याजोक्ति-गीत )
भारत की गरिमा कई बार भंग हो चुकी है | पर अब तो हद हो गयी है | इतना घिनौना काण्ड, 'पशुता' का 'मानवता' पर आक्रमण ! सीधे तरीके से फैसला होने की वजाय,उलझता जा रहा है 'न्याय' का फरिश्ता !! भारत माता आज 'हैप्पी क्रिमस' कहे तो कैसे कहे !!! (सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
'हैप्पी क्रिसमस' मैं कह देती, पर मेरा 'दिल' घायल है |
ओ मेरे सपूत !सुन लों तुम, माता 'रहम' के क़ाबिल है ||
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कहीं 'लड़ाई भाषाओं की', कुछ 'धरती' के लिये लड़े |
कई लड़े हैं, 'धन-दौलत' को, कुछ 'कुर्सी' के लिये लड़े ||
कोई लड़ाई हो मत भूलो, लड़ाने वाला 'जाहिल' है ||
'हैप्पी क्रिसमस' मैं कह देती, पर मेरा 'दिल' घायल है |
ओ मेरे सपूत !सुन लों तुम, माता 'रहम' के क़ाबिल है ||१||
कैसे 'मेरे पूत' हो गये, 'सुन्दर-तन' के भूखे हैं |
'हविश-धूप' से 'करुणा' सूखी,'नयन के छागल' सूखे हैं ||
इनके 'व्यवहारों' में 'भीषण पशुता वाले जंगल' हैं ||
'हैप्पी क्रिसमस' मैं कह देती, पर मेरा 'दिल' घायल है |
ओ मेरे सपूत !सुन लों तुम, माता 'रहम' के क़ाबिल है ||२||
मुझको चिन्ता, आयी कैसे 'अखलाकों' में यह 'खामी' !
"प्रसून" किससे करें शिकायत, होगी कितनी बदनामी !!
उफ़,लगता है, 'भाग्य-गगन' में उठा 'प्रलय का बादल' है ||
'हैप्पी क्रिसमस' मैं कह देती, पर मेरा 'दिल' घायल है |
ओ मेरे सपूत !सुन लों तुम, माता 'रहम' के क़ाबिल है ||३||
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