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मेरे संस्मरण (१)मेरे प्रेरणा-स्रोत (क)मेरे ध्यान-केंद्र (मेरे गुरु देव)

ओं श्री गुरुवे नम:
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ओं-
गुरुब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवो महेश्वर: |
ग्रुस्साक्षात परं ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नम: ||   
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यह चित्र मात्र एक चित्र न हो कर मरे मानस-पटल पर छपी एक प्रतिमा है जो मरे ध्यान का केंद्र है |  ये विभूति  मेरी प्रेरणा का स्रोत हैं  | मेरे जीवन की डोर इनसे जुड़ी है तो मेरी हर घटना के संचालक हैं ये | मेरे हर दुःख-सुख के
स्वामी हैं ये | मुझे सही मार्ग पर डालने वाले हैं ये | इन की वेश भूषा पर न जायें आप | धर्म-जाति के धरातल से बहुत उठ चुके थे | महा मानव थे ये |
मैं  इनसे  अपने  मिलने-जुड़ने  का  वृत्तान्त  आप के सामने रखूँ, इस से पूर्व मैं, इनसे मिलने से पहले अपने विषय में कहना अधिक उचित समझता
हूँ | मैं यह बताना चाहूँगा कि किस प्रकार मेरी इन से भेंट हुई, कैसे इनसे मेरा
अन्तर्मन का जुड़ाव हो गया !
           
(आगे के प्रस्तुतीकरण में )

दिगम्बर नासवा  – (22 October 2013 at 03:02)  

शायद चित्र नहीं डाला आपने ...

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