मेरे संस्मरण (१)मेरे प्रेरणा-स्रोत (क)मेरे ध्यान-केंद्र (मेरे गुरु देव)
>> Saturday, 18 May 2013 –
संस्मरण
ओं श्री गुरुवे नम:
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ओं-
गुरुब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवो महेश्वर: |
ग्रुस्साक्षात परं ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नम: ||
गुरुब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवो महेश्वर: |
ग्रुस्साक्षात परं ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नम: ||
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यह चित्र मात्र एक चित्र न हो कर मरे मानस-पटल पर छपी एक प्रतिमा है जो मरे
ध्यान का केंद्र है | ये विभूति मेरी प्रेरणा का स्रोत हैं | मेरे जीवन की डोर इनसे जुड़ी है तो मेरी हर
घटना के संचालक हैं ये | मेरे हर दुःख-सुख के
स्वामी हैं ये | मुझे सही मार्ग पर डालने वाले हैं ये | इन की वेश भूषा पर न
जायें आप | धर्म-जाति के धरातल से बहुत उठ चुके थे | महा मानव थे ये |
मैं इनसे अपने
मिलने-जुड़ने का वृत्तान्त
आप के सामने रखूँ, इस से पूर्व मैं, इनसे मिलने से पहले अपने विषय में कहना
अधिक उचित समझता
हूँ | मैं यह बताना चाहूँगा कि किस प्रकार मेरी इन से भेंट हुई, कैसे इनसे मेरा
अन्तर्मन का जुड़ाव हो गया !
(आगे
के प्रस्तुतीकरण में )
शायद चित्र नहीं डाला आपने ...