सामयिकी(परिवार-दिवस)
>> Tuesday, 14 May 2013 –
क्षणिकायें
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(क) हाइकू नुमा क्षणिकायें |
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(१)
परिवार-दिवस-
आओ हम सब मनायें !
परिवार को सुखी बनायें !!
(२)
सुखी परिवार |
आज का ‘बड़ा’ नहीं |
‘छोटा परिवार’ ||
(३)
आपस में प्रेम |
यानी परिवार की-
कुशल-क्षेम |
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(ख) क्षणिकायें |
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(१)
दिल छोटा है तो-
‘मियाँ-बीवी-बच्चे’ हैं ‘परिवार’ |
दिल कुछ बड़ा है-
‘ बस्ती-मोहल्ला-नगर’ है परिवार ||
दिल और बड़ा है-
‘इलाका-प्रान्त’ को मानें परिवार ||
दिल बहुत बड़ा है-
‘देश-महाद्वीप’ है परिवार ||
और यदि-
दिल आसमान सा है विशाल |
हम हैं मानते खुद को ‘ईश्वर का लाल’ ||
तो सारी वसुधा है परिवार !!
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(२)
‘हम’ बड़े, बड़े और बड़े होते जायें |
अपना परिवार ‘बड़ा’ बनायें |
‘आकार’ में नहीं |
‘संख्या’ में नहीं ||
बड़ा बनायें |
‘नीयत’ को न बनायें ‘खोटा’ |
पारिवार को करें सीमित यानी छोटा ||
‘छोटा परिवार-सुखी परिवार’ |
ताकि घटे ‘धरती मैया का भार’ ||
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waaaaah bhot achche haiku hai....or khs to 1 or2 bhot khub
बहुत सुन्दर.आभार . अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .