सामयिकी --मातृ-दिवस |
>> Sunday, 12 May 2013 –
शीर्षक-गीत
कल नेटवर्क की समस्या हल न्होंने के कारण आज 'मातृ दिवस' हेतु प्रस्तुत हूँ !
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
======
नारी के मन
से हट जाये, यदि ‘तनाव का भार |
‘मातृ-दिवस’ का
पर्व मनाये, तब
सारा संसार ||
===================================
रोकें अपहरणों को,
रोकें ‘लाज की होती
लूट’ |
‘दरिन्दगी’ को दें मत,
अब हम और तनिक भी छूट ||
‘बलात्कारी
पशुओं’ को हम
दें मिल कर के मार |
‘मातृ-दिवस’ का
पर्व मनाये, तब
सारा संसार ||१||
भोली कन्यायें हैं
‘जगदम्बा’ का सचमुच
रूप |
इन में ‘वत्सलता-ममता’ होंती
है परम अनूप
||
कन्याओं पर पड़े कहीं
मत, ‘घृणित मौत की मार ‘ |
‘मातृ-दिवस’ का
पर्व मनाये, तब
सारा संसार ||२||
नारी में है
सरस्वती – लक्ष्मी - दुर्गा
का ‘अंश’ |
तथा उदर में यही पालती और पोषती ‘वंश’
||
हम समझें
कि यही ढालती,
‘मानवता - आकार’ |
‘मातृ-दिवस’ का
पर्व मनाये, तब
सारा संसार ||३||
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति बधाई
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल १४ /५/१३ मंगलवारीय चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
bhot sundar waaaaaaaaaaah
duniya ki sari ma ao ko mera nman
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
बहुत सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति!
माँ को नमन!