होली आयी है (देवदत्त 'प्रसून' )
>> Tuesday, 15 March 2011 –
होलीगीत
गायें मीठे राग, होली आयी है।।
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पीड़ा भरी चुभन ये सारी भूले हैं।
डाल डाल पर देखो भँवरे झूले हैं।।
सुन कर मीठे गीत, रसीले मतवाले,
गुमसुम कलियों के ये गुच्छे फूले हैं।।
देखो खिल गये बाग,होली आयी है।
महका प्रेम पराग,होली आयी है।।1।।
वैर भाव का कहीं भी कोई काम नहीं।
कलह और प्रतिकार का लेना नाम नहीं।।
बिसरा दो कटुतायें,आओ गले मिलें--
प्यार की गति पर देखो लगे विराम नहीं।।
मन में है अनुराग,होली आयी है।
छोड़ो हर वैराग ,होली आयी है।।2।।
स्नेह सभी के सीने में भरपूर रहे।
मत कोई अपने ग़रूर में चूर रहे।।
"प्रसून" डूबे हर मन ऐसी मस्ती में-
उछली कीचड़ से हर आँचल दूर रहे।।
लगे न कोई दाग़, होली आयी है।
हों रिश्ते बेदाग़, होली आयी है।।3।।
प्रसून जी।
बहुत बढ़िया होली गीत लिखा है आपने।
अन्तर्जाल पर आपका स्वागत है।
होली की सार्थक भावनाओं से युक्त बहुत सुन्दर होली गीत...होली की शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर बात होली पर .. और यह सुन्दर कविता... आपके ब्लॉग की शुरुआत शुभ हो ... आपका स्वागत ... होली पर शुभकामनाएँ