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जून-2013 के बाद के गीत/गज़लें (ब) गीत (3) कलेजा मुहँ को आता है ! (‘ठहरो मेरी बात सुनो !’ से)

                                         (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार)
                                         
देख घिनौने काम कलेजा मुहँ को आता है !
पाप किये अविराम कलेजा मुहँ को आता है !!
दिल में उनके कपट-छुरी है !
नीयत उनकी बहुत बुरी है !!
हाँ जी केवल छल से उनके,
सम्बन्धों की डोर जुडी है !!
बगल में दुष्कर्मों की गठरी-
लेकिन मुहँ में राम, कलेजा मुहँ को आता है !
पूजा सुबहोशाम, कलेजा मुहँ को आता है !!
पाप किये अविराम कलेजा मुहँ को आता है !!1!!

राजनीति की घुनी बाँसुरी !
कूटनीति की तान कनसुरी !!
कान्हाँ बन कर कंस बजाये-
कपट-कुटिल रागिनी बेसुरी !!
भोले-भाले जन-गण रूपी-
छले गये घनश्याम, कलेजा मुहँ को आता है !
शाप है बना इनाम, कलेजा मुहँ को आता है !!
पाप किये अविराम, कलेजा मुहँ को आता है !!2!!

राजनीति का इनको चस्का !
नेताओं को लगा के मस्का !!
इन्हें रक़म दोगे यदि अच्छी-
काम नहीं क्या इनके वश का !!
किसी की जान फँसी मुश्किल में-
दया से है क्या काम, कलेजा मुहँ को आता है !
इनको प्यारे दाम, कलेजा मुहँ को आता है !!
पाप किये अविराम, कलेजा मुहँ को आता है !!3!!


भारत की धरती दुखियारी !
गई धर्म की दशा बिगारी !!
कामी और कुचाली-कपटी-
मन्दिर के कुछ बने पुजारी !!
इनसे कैसे आज बचायें-
अपने पुरियाँ-धाम, कलेजा मुहँ को आता है !
हरि हो गये बदनाम, कलेजा मुहँ को आता है !!
पाप किये अविराम, कलेजा मुहँ को आता है !!4!!


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