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आँसू-अनेक रूप


नयन में जब आँसू आते हैं, उनमें होता ताप घुला |
घुली हुई होती है पीड़ा,अन्तर का सन्ताप घुला ||

कभी हर्ष-अतिरेक वेदना, इनमें होती घुली हुई -
और कभी अपने पापों का होता पश्त्ताप घुला ||

कभी विरह के शूलों की हैचुभन कसक से भरी हुई -
कभी मिलन के सुमनों का है मोह भरा अनुमाप घुला || 
कभी किन्हीं आँखों के आँसू में धन पाने की खुशियाँ 
और कभी मन में चुभता है,निर्धनता का श्राप घुला ||
  
बिन बोले आँसू कर देते, मन का हर उद्गार प्रकट-
क्योंकि "प्रसून" इन्हीं में होता मूक राग आलाप घुला ||
 

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