पिया की होली |(दो गीत) (१) ‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !
>> Tuesday, 26 March 2013 –
गीत (होली- लोक गीत)
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अब की होली में यों डालो रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !!
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‘मिलने की कामना’ ह्रदय में जागी है |
लहर लहर ‘संयम-सागर’ में बागी है ||
‘चाहत की सीपियाँ’ हैं देखो उतरायीं-
चलो चलें मधुवन में दोनों संग पिया !!
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!१!!
देखो कितना ‘प्रेम-दीवाना’ ‘भँवरा’ है |
किसी फूल पर जाने को ‘बेसबरा’ है ||
एक दूसरे ने की ऐसी ‘पहुनाई’
‘रति’ से मिलने मानों चला ‘अनंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!२!!
बढ़े दिनों दिन प्रीति’ कभी भी घटे नहीं | ‘
लगन की डोरी’ टूटे मत या कटे नहीं ||
हो यह ‘मिलन’,‘अखिल जीवन’ को सुखदायी-
मन के गगन ऐसी उड़े ‘पतंग’ पिया||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!३!!
‘रस की धारा’ बन कर ‘प्रीति का राग’ बहे |
‘
'नस-नस’ में ठाठें मारे ‘अनुराग’ बहे ||
‘मधुर मिलन’ की ऐसी बाजे ‘शहनाई’-
बाजें ‘हृदय’ में ‘वीणा और मृदंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!४!!
“प्रसून” वन-बागों में देखो हैं महके |
‘’झुण्ड कोयलों के’ हैं मदमाते चहके ||
सोई ‘इच्छाओं’ ने ली है अंगड़ाई -
भर दी है ‘उत्साह की एक तरंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
'अंग-अंग में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!५!!
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