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पिया की होली |(दो गीत) (१) ‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !





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अब की होली में यों डालो रंग पिया !

‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !!

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मिलने की कामना’ ह्रदय में जागी है |
 
लहर लहर  ‘संयम-सागर’ में बागी है ||

‘चाहत की सीपियाँ’ हैं देखो उतरायीं-

 चलो चलें मधुवन में दोनों संग पिया !!

अब की होली में यों डालों रंग पिया !

‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!१!!


देखो कितना ‘प्रेम-दीवाना’ ‘भँवरा’ है |

 किसी फूल पर जाने को ‘बेसबरा’ है ||

एक दूसरे ने की ऐसी ‘पहुनाई’ 


‘रति’ से मिलने मानों चला ‘अनंग’ पिया ||

अब की होली में यों डालों रंग पिया !

‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!२!!

बढ़े दिनों दिन प्रीति’ कभी भी घटे नहीं | ‘

लगन की डोरी’ टूटे मत या कटे नहीं ||

हो यह ‘मिलन’,‘अखिल जीवन’ को सुखदायी-



मन के गगन ऐसी उड़े ‘पतंग’ पिया||

 अब की होली में यों डालों रंग पिया !

‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!३!!







‘रस की धारा’ बन कर ‘प्रीति का राग’ बहे |
'नस-नस’ में ठाठें मारे ‘अनुराग’ बहे ||

‘मधुर मिलन’ की ऐसी बाजे ‘शहनाई’-

बाजें ‘हृदय’ में ‘वीणा और मृदंग’ पिया ||

अब की होली में यों डालों रंग पिया !

‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!४!!



“प्रसून” वन-बागों में देखो हैं महके |

 ‘’झुण्ड कोयलों के’ हैं मदमाते चहके ||

 सोई ‘इच्छाओं’ ने ली है अंगड़ाई - 



भर दी है ‘उत्साह की एक तरंग’ पिया ||

अब की होली में यों डालों रंग पिया !

'अंग-अंग में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!५!!


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