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नयी आशा।

आशा के चमन में,खिल उठे ये नज़ारे देखो ।
घटा को तोड़ कर ,चमके कुछ सितारे देखो।।


अकेला था कभी वह,आज है काफिला भारी-
लोग पीछे चल पड़े हैं,आज सारे देखो।।


भ्रष्टलोगों में हैछायीहै  अजब सी दहशत-
क्योंकि ईमान के रहवर बाँह पसारे देखो।।


नये इस वर्ष,उत्साह में आया  नया पन है-
डूबती कश्तियाँ  लग जायेंगी किनारे देखो।।


पखुरियाँ हँस उठीं हैं,"प्रसून" की  खुल कर-
जोश में आया है,क्योंकि अन्ना हजारे देखो।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  – (10 April 2011 at 04:03)  

अन्ना हजारे के प्रति समर्पित-
बहुत सुन्दर गजलिका।

देवदत्त प्रसून  – (10 April 2011 at 04:22)  

मयंक जी टिप्पणी देने के लिए धन्यवाद।

कविता रावत  – (26 May 2011 at 03:02)  

नये इस वर्ष,उत्साह में आया नया पन है-
डूबती कश्तियाँ लग जायेंगी किनारे देखो।।

पखुरियाँ हँस उठीं हैं,"प्रसून" की खुल कर-
जोश में आया है,क्योंकि अन्ना हजारे देखो।
...nayee aas bhari rachna prastuti ke liye aabhar

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