नयी आशा।
>> Sunday, 10 April 2011 –
नव गजलिका
आशा के चमन में,खिल उठे ये नज़ारे देखो ।
घटा को तोड़ कर ,चमके कुछ सितारे देखो।।
अकेला था कभी वह,आज है काफिला भारी-
लोग पीछे चल पड़े हैं,आज सारे देखो।।
भ्रष्टलोगों में हैछायीहै अजब सी दहशत-
क्योंकि ईमान के रहवर बाँह पसारे देखो।।
नये इस वर्ष,उत्साह में आया नया पन है-
डूबती कश्तियाँ लग जायेंगी किनारे देखो।।
पखुरियाँ हँस उठीं हैं,"प्रसून" की खुल कर-
जोश में आया है,क्योंकि अन्ना हजारे देखो।।
अन्ना हजारे के प्रति समर्पित-
बहुत सुन्दर गजलिका।
मयंक जी टिप्पणी देने के लिए धन्यवाद।
नये इस वर्ष,उत्साह में आया नया पन है-
डूबती कश्तियाँ लग जायेंगी किनारे देखो।।
पखुरियाँ हँस उठीं हैं,"प्रसून" की खुल कर-
जोश में आया है,क्योंकि अन्ना हजारे देखो।
...nayee aas bhari rachna prastuti ke liye aabhar