tag:blogger.com,1999:blog-7044094914596338803.post8501751625303566418..comments2023-08-12T02:31:44.341-07:00Comments on प्रसून: मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(ख) झरोखे से (१)विगत यादों की लम्बी डोर |देवदत्त प्रसूनhttp://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7044094914596338803.post-14618649988687291122012-10-07T02:53:42.107-07:002012-10-07T02:53:42.107-07:00‘चाँदनी’ के ‘यौवन’ पर पड़ी, ‘सघन घन’ की ‘मटमैली दृ...‘चाँदनी’ के ‘यौवन’ पर पड़ी, ‘सघन घन’ की ‘मटमैली दृष्टि’ |<br /><br />‘आसुओं’ से ‘धोने’‘,अभिशाप’,’रात भर’ हुई ‘अनवरत वृष्टि’ ||<br />सभी मुक्तक बहुत सुन्दर,,, भाव पूर्ण...शुभ कामनाएं अनुभूतिhttps://www.blogger.com/profile/17816337979760354731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7044094914596338803.post-62074842125523906732012-10-06T04:47:55.622-07:002012-10-06T04:47:55.622-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी...बहुत सुन्दर प्रस्तुति! <br />आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (07-10-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी की गई है!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com